भारत के शासकों में, अहिल्याबाई होल्कर एक ऐसा नाम हैं, जो शासन, साहस और विकास की मिसाल थीं। 31 मई, 1725 को, महाराष्ट्र के चांडी, गांव में मनकोजी सिंधिया और सुशिला सिंधिया के यहां, उनका जन्म हुआ था। उनके पिता गांव के प्रधान थे। यानी रानी अहिल्या, बचपन से किसी राजशाही वंश की नहीं थीं। असल में हुआ ये था, कि जब वो लगभग 8 साल की थीं, तब 1733 में, राजा मलहार राव के, बेटे खंडेराव से उनका विवाह हो गया। और इस तरह से एक आम सी लड़की- अहिल्या मालवा के राजमहल में पहुंच गई। उन्हें, जल्द ही महसूस हो गया- कि शिक्षित नहीं होने की वजह से, वो सही तरीके से काम नहीं कर पा रहीं। इसलिए, पढ़ाई करने का सोचा, लेकिन उस वक्त, लड़कियों को शिक्षा देना सही नहीं समझा जाता था। इस, प्रथा के जवाब में उन्होंने कहा था- कि पढ़ाई की देवी खुद एक महिला हैं, तो महिलाओं को शिक्षा का अधिकार क्यों नहीं। ये देखकर, ससुर मलहार राव ने, अहिल्या के
लिए महल में ही पढ़ने की व्यवस्था कर दी। अहिल्याबाई के 2 बच्चे थे, एक पुत्र, जिसका का नाम मालेराव और कन्या का नाम मुक्ताबाई था। लेकिन जल्द ही, उनकी जिंदगी ने इम्तिहान लेना शुरू कर दिए। शादी के कुछ साल बाद ही, उनके पति की मृत्यु हो गई। उस समय उनका बेटा, छोटा था। उस दौर में सती होने की रूढि़वादी परंपरा थी, लेकिन उनके ससुर ने, उन्हें सती होने से रोका। लेकिन नियति ने उनसे, उनका बेटा भी कम उम्र में ही छीन लिया। इतना ही नहीं, 1766 में उनके ससुर का भी निधन हो गया। इसलिए, वो 11 दिसंबर 1767 को इंदौर की शासक बनीं। अपनी जिंदगी में चल रहे दुख का असर, उन्होंने अपनी प्रजा पर नहीं होने दिया। मालवा की ये मराठा महिला शासक, सिर्फ समाज सुधार ही नहीं, बल्कि राजनिति और रणभूमि का भी गौरव थीं। उनके 28 साल के शासन में, इंदौर ने खूब प्रगति की। उन्होंने मालवा में भी, कई किले, सड़कें बनवाई, और मंदिरों को दान दिया। काशी, गया, सोमनाथ, अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, बद्रीनारायण और
जगन्नाथपुरी, जैसे कई मंदिरों की मरम्मत के लिए दान देती थीं। जिंदगी से लेकर, रणभूमि तक, उन्होंने कभी हार नहीं मानी, लेकिन उनकी बेटी अपने पति यशवंतराव फांसे की चिता में, सती हो गई थी। आज उनकी जयंती पर, द रेवोल्यूशन- देशभक्त हिंदुस्तानी उन्हें, सहृदय श्रद्धांजलि देता है। 13 अगस्त, 1795 को, भारत ने इस वीरांगना को खो दिया। लेकिन उनका जीवन, हमें हमेशा याद दिलाता रहेगा कि कोई भी इनसान, अपनी सोसायटी और पूरे देश पर अपना प्रभाव डाल सकता है, चाहे वो किसी आम पृष्ठभूमि से ही क्यों न आता हो।